उत्तर प्रदेश के वन एवं वन्य जीवन | Forest and Wildlife of Uttar Pradesh
नमस्कार दोस्तों, Exams Tips Hindi शिक्षात्मक वेबसाइट में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में उत्तर प्रदेश के वन एवं वन्य जीवन से संबंधित जानकारी (Uttar Pradesh Forest and Uttar Pradesh Wildlife) दी गई है। जैसा कि हम जानते है, उत्तर प्रदेश, भारत का जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है। उत्तर प्रदेश की प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत ज़्यादा कम्पटीशन रहता है। यह लेख उन आकांक्षीयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो उत्तर प्रदेश सिविल सर्विस (UPPSC), UPSSSC, विद्युत विभाग, पुलिस, टीचर, सिंचाई विभाग, लेखपाल, BDO इत्यादि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है। तो आइए जानते है उत्तर प्रदेश से संबंधित जानकारी-
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उत्तर प्रदेश के वन एवं वन्य जीवन | Forest and Wildlife of Uttar Pradesh |
उत्तर प्रदेश के वन एवं प्राकृतिक वनस्पतियां
➤ उत्तर प्रदेश में मुख्यतः तीन प्रकार के वन पाए जाते हैं-
(1) उष्ण कटिबंधीय नम पर्णपाती वन
(2) उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन
(3) उष्ण कटिबंधीय कंटीली झाड़ियां
➤ उत्तर प्रदेश में तराई एवं भाबर क्षेत्रों में उष्ण कटिबंधीय नम पर्णपाती पाए जाते है।
➤ नम पर्णपाती वनों से साल बेर, आंवला, जामुन, बांस, गूलर, पलाश, महुआ, सेमल, तथा बेत आदि के वृक्ष पाए जाते हैं।
➤ उत्तर प्रदेश में शुल्क पर्णपाती वन पूर्व, मध्य एवं पश्चिम मैदानी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
➤ शुष्क पर्णपाती वनों शीशम, जामुन, नीम, पीपल, अमलतास, बेल एवं अंजीर के वृक्ष पाए जाते है।
➤ झाड़ियों एवं घासें शुष्क पर्णपाती वनों में पाई जाती है।
➤ उत्तर प्रदेश के मैदानी नम भूमि और नदियों के किनारे शीशम, आम, जामुन, नीम, पीपल, महुआ, बबूल एवं इमली के वृक्ष मिलते हैं।
➤ उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भाग में कंटीली झाड़ियों वाले उष्णकटिबंधीय वन पाए जाते हैं। इनमें अकेसिया, कंटीले लेगुमेस, यूफर्वियास, फुलाई, कत्था, कक्को, धामन, रेऊनशा तथा नीम के वृक्ष बहुतायत में मिलते हैं।
➤ उष्ण कटिबंधीय कंटीली झाड़ियों वाले वनों से राल एवं गोंद की प्राप्ति होती है।
भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट 2017
➤ भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा 2017 में ISFR-2017 (India State of Forest Report-2017) के अनुसार उत्तर प्रदेश में अमिलिखित (Recorded) वन क्षेत्र 16.582 वर्ग किमी. है जो कि इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 6.88% है
➤ वैधानिक स्थिति के अनुसार इसमें अतिरिक्त वन 72.79% संरक्षित वन 6.98% और अवर्गीकृत वन 20.23% है।
➤ ISFR-2017 के अनुसार (अक्तूबर, 2015 से दिसंबर, 2015 के दौरान के सैटेलाइट आंकड़ों के आधार पर) उत्तर प्रदेश का कुल वनावरण 14679 वर्ग किमी. है जो कि उत्तर प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 6.98% है।
➤ इसमें 2617 वर्ग किमी. में अति सघन वन (1.09%), 4069 वर्ग किमी. में मध्यम सघन वन (1.69%) तथा 7993 वर्ग किमी. में खुले वन (3.32%) तुलना ISFR-2015 के संशोधित आंकड़ों की में राज्य में वनावरण में 278 वर्ग कि.मी. की वद्धि हुई है।
➤ कुल क्षेत्रफल में सवाधिक वन क्षो प्रतिशत वाले 5 जिले (घटते क्रम में) सोनभद्र, चंदौली, पीलीभीत, मिर्जापुर, चित्रकूट।
➤ उत्तर प्रदेश में वृक्षावरण कुल क्षेत्रफल के 3. 08% क्षेत्र (7142 वर्ग किमी) में है।
➤ उत्तर प्रदेश में झाड़ियों (Scrub) का क्षेत्रफल 537 वर्ग किमी. (0.22%) में विस्तृत है।
➤ उत्तर प्रदेश में अधिकतम वनावरण वाला जिला सोनभद्र (2.539 वर्ग किमी. जिले के भौगोलिक क्षेत्र का
36.77%)है।
➤ उत्तर प्रदेश में न्यूनतम वनावरण वाला जिला संत रविदास नगर (3 वर्ग किमी. जिले के भौगोलिक क्षेत्र का 0.30%) है।
➤ प्रदेश में सर्वाधिक अतिसघन वन क्षेत्र लखीमपुर खीरी (805 वर्ग किमी) जिले में है।
➤ अधिकतम मध्यम वन क्षेत्र (967 वर्ग किमी.) एवं खुला वन क्षेत्र (1442 वर्ग किमी.) सोनभद्र जिले में है।
उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक वन तराई एवं भावर क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
वन क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़े
➤ अधिकतम वन क्षेत्र प्रतिशत वाले पांच जिले (घटते क्रम से) सोनभद्र, (36.77%), चंदौली (22.24%), पीलीभीत (18.67%), मिर्जापुर (18.27%), चित्रकूट (18.22%)।
➤ न्यूनतम वन क्षेत्र प्रतिशत वाले पांच जिले (बढ़ते हुए क्रम में)- संत रविदास नगर (0. 30%), मैनपुरी (0.51%), देवरिया (0.59%), मऊ (0.64%), बलिया (0.74%)। अधिकतम वन क्षेत्रफल वाले पांच जिले (घटते हुए क्रम में)- सोनभद्र (2539 वर्ग किमी), खीरी (1274 वर्ग किमी.), मिर्जापुर (805 वर्ग किमी), पीलीभीत (688 वर्ग किमी), ललितपुर (587 वर्ग किमी.)।
➤ न्यूनतम वन क्षेत्रफल वाले पांच जिले (बढ़ते हुए क्रम में)- संत रविदास नगर (3 वर्ग किमी), मऊ (11 वर्ग किमी.), संत कबीर नगर (14 वर्ग किमी), मैनपुरी (14 वर्ग किमी), वाराणसी (17 वर्ग किमी.)।
उत्तर प्रदेश में वनों का महत्व
➤ चीड़ वृक्ष के राल से विरोजा एवं तारपीन के तेल की प्राप्ति होती है।
➤ खैर वृक्ष से कत्था की प्राप्ति होती है।
➤ बेंच एवं बांस का उपयोग मुख्यतः कागज उद्योग में कच्चे माल के रूप में किया जाता है।
➤ रेलवे लाइन के स्लीपरों और इमारती लकड़ी के रूप में साल, चीड़, देवदार एवं सागौन वृक्षो का उपयोग किया जाता है।
➤ उत्तर प्रदेश में लगभग 1000 प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं जिनसे लकड़ियां प्राप्त होती हैं।
➤ गंगा के मैदानी भाग में लगभग 200 प्रकार की घासें पाई जाती हैं।
➤ उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में वाइओला सरस (Viola Serpens) पोडो फाइलियम (Podophyllum) रोवोल्फिया सर्पेटाइना (Rauwolfia Serpentine), हेक्सान्ड्रम (Hexandrum) तथा एफेकरा मेरारडियान नामक औषधीय पौध पाए जाते हैं।
➤ उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड एवं बघेलखंड क्षेत्र में मुख्यत सागौन, ढाक महुआ चिरौंजी सलाई, तथा तेंदू के वृक्ष पाए जाते हैं।
वनों से संबंधित महत्वपूर्ण कार्यक्रम/योजनाएं
➤ प्रदेश में सामाजिक वानिकी योजना वर्ष 1976 में शुरू की गई।
➤ जापान सरकार की मदद से जुलाई, 2010 से सहभागी वन प्रबंधन तराई, विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्रों में चलाई जा रही है।
➤ प्रदेश का पहला ग्राम वन सोनभद्र के वेलहत्थी ग्राम घोषित किया गया है।
➤ वन श्रमिको के कल्याणार्थ सामूहिक बीमा योजना वर्ष 1989-90 से प्रारंभ की गई।
➤ 2005-06 से सघन वृक्षारोपन कार्यक्रम 22 चयनित जनपदों में चलाई जा रही है।
➤ प्रदेश के चयनित 38 जिलों में वृक्षारोपण विस्तार योजना, 2007-08 से चलाई जा रही है।
➤ प्रदेश के ललितपुर, चित्रकूट, महोबा, मिर्जापुर व सोनभद्र जिलों में 2007-08 से बांसरोपण एवं बन सुधार योजना चलाई जा रही है।
➤ वृक्षबंधु पुरस्कार योजना वर्ष 2007-08 से जिसका उद्देश्य जैव विविधता के संरक्षण, संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग तथा केंद्र सरकार के साथ इस क्षेत्र में सहयोग करना है।
➤ वित्तीय वर्ष 2008-09 से उत्तर प्रदेश के वनों के सुधार एवं वनों पर निर्भर जन समुदाय के निर्धनता उन्मूलन के दृष्टिगत जापान इंटरनेशनल को ऑपरेशन एजेंसी द्वारा वित्त घोषित उत्तर प्रदेश पार्टिसिपट्री फॉरेस्ट मैनेजमेंटएवं पावर्टी एलिविएशन प्रोजेक्ट क्रियान्वित की जा रही है।
➤ यह परियोजना उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, प्रयागराज, मिर्जापुर, सोनभद्र तथानचंदौली जनपदों के 20 वन प्रभागों में क्रियान्वित की जा रही है।
➤ केंद्र-राज्य भागीदारी से ईंधन एवं चारा प्रोजेक्ट 1990-91 से चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य ग्रामीण लोगों को ईंधन एवं चारा वाले वृक्षों के रोपण हेतु प्रोत्साहित करना है।
➤ वनों के अवैध कटाव, वन क्षेत्र में अधिक्रमण का रोकने हेतु 27 जिलों में वन सुरक्षा योजना चलाई जा रही है।
➤ लखनऊ, वृक्षारोपण परियोजना 2004-05 लखनऊ नगर के सुंदरीकरण के लिए संचालित की जा रही है।
➤ ग्रामों एवं शहरों में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए वृक्ष प्रतिपालक एवं वृक्ष मित्र योजना चलाई जा रही है।
➤ समग्र वन विकास योजना के अंतर्गत औद्योगिकएवं प्लाईवुड वृक्षारोपण, ईंधन वृक्षारोपण, सड़क के किनारे वृक्षारोपण, बीहड़ों का नवीकरण, रामगंगा घाटी योजना आदि सम्मिलित कियानगया है।
➤ 1992 में उत्तर प्रदेश में संयुक्त वन प्रबंधन (Joint Forest Management) प्रारंभ हुआ था।नवर्तमान में लगभग 80,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र का प्रबंधन 1,892 JFM समितियां कर रही हैं।
➤ 1035 में उत्तर प्रदेश के वनों की राजकीय संपति घोषित किया गया।
➤ उत्तर प्रदेश में वन महोत्सव का आरंभ जुलाई, 1952 में हुआ। (FRI)
➤ वन महोत्सव ओलन का मूलाधार है वृक्ष का अर्थ जल है, जल का अर्थ रोटी है और रोटी ही जीवन है।"
➤ वन अनुसंधानशाला (FRI) देहरादून (उत्तराखंड) में स्थित है।
➤ उत्तर प्रदेश के वन सेवा के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण भारतीय वन महाविद्यालय, देहरादून में दिया जाता है।
➤ यूकेलिप्टस वृक्ष को पारिस्थितिकी आतंकवादी कहा जाता है।
➤ उत्तर प्रदेश में वृक्षावरण की वृद्धि के लिए 1 जुलाई 2001 से ऑपरेशन ग्रीन योजना शुरू की गई।
➤ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2007-08 से ऑपरेशन ग्रीन का संचालन किया जा रहा है।
➤ ऑपरेशन ग्रीन का संबंध वन क्षेत्रों के विस्तार से है।
➤ उत्तर प्रदेश में वन क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए बरेली, पीलीभीत, बिजनौर, मेरठ, बदायूं और सहारनपुर जिलों में 'हाईटेक नर्सरी' विकसित करने का कार्य शुरू किया गया है।
➤ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 11 जुलाई, 2016 ग्रीन उत्तर प्रदेश क्लीन उत्तर प्रदेश अभियान के तहत 7 करोड़ से भी अधिक वृक्ष लगाने का रिकॉर्ड स्थापित किया गया। ध्यातव्य है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 7 नवंबर, 2015 को ग्रीन उत्तर प्रदेश क्लीन यूपी अभियान की शुरुआत की गई थी। इस अभियान के तहत उन्नाव वन प्रभाग में सर्वाधिक 22,42,125 पौधे लगाए गए।
वनों पर आधारित उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख उद्योग केंद्र
➤ बेत, फर्नीचर, कत्था, माचिस एवं प्लाईवुड- बरेली, नजीबाबाद एवं ज्वालापुर।
➤ कागज का प्रमुख केंद्र - सहारनपुर बीड़ी
➤ चीनी मिट्टी के खिलौने - मिर्जापुर, झांसी, सहारनपुर, बरेली
➤ लकड़ी के खिलौने - सोनभद्र, वाराणसी
➤ खेल का सामान - मेरठ
उत्तर प्रदेश में वन्य जीव
➤ देश के प्रथम वन्य जीव परिरक्षण संगठन की स्थापना उत्तर प्रदेश में वर्ष 1956 में की गई थी। वन्य जीव परिरक्षण संगठन का प्रमुख कार्य प्रदेश में वन्य जीवों की सपुरक्षा तथा आधुनिक एवं वैज्ञानिक विधि से सघन वन्य जीव प्रबंध, साथ ही राष्ट्रीय उद्यानों, वन्य विहारों एवं पक्षी विहारों का विकास करना है। देश के वन्य जीवों के सरक्षण की सोच्च संस्थान 'भारतीय वन्य जीव बोर्ड है। जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
➤ भारत में वन्य प्रणाली (सपुरक्षा) अधिनियम वर्ष 1972 में पारित किया गया।
➤ वर्ष 1976 में 42वें संविधान संशोधन के द्वारा 'वन' तथा 'वन्य प्राणी' विषय समवर्ती सूची में सम्मिलित किए गए।
➤ उत्तर प्रदेश में तेंदुआ हिरन, चतल, सांभर, जंगली सुअर, हाथी, रीछ, गीदड़ खरगोश लोमड़ी आदि जीव जंतु पाए जाते हैं।
➤ उत्तर प्रदेश में सामान्यतः पाए जाने वाले प्रमुख पक्षी-कौआ, कबूतर, बगुला, सारस, कठफोड़वा, तोता, मैना, बुलबुला है।
➤ उत्तर प्रदेश का राजकीय पशु बारहसिंगा है।
➤ उत्तर प्रदेश राजकीय पक्षी सारस अथवा क्रौच है।
➤ उत्तर प्रदेश के राजकीय चिन्ह पर मछली एवं तीन-धनुष की आकृति है।
➤ उत्तर प्रदेश में मछलियों की प्रमुख प्रजातियां, रसेला, वितल, रोहू बिगाल, मत्सेय, हिलसा, सौल, तेमन, पड़हिन, कट्टा, लाबी, मांगपुर, क्यूचिपा, ईल, सिंधी एवं ट्राऊट है।
➤ उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर एवं सोनभद्र जिलों में गंगा नदी में राष्ट्रीय जल जीव (National Aquatic Animal) घोषित 'गंगा डॉल्फिन' पाई जाती है। इसे स्थानीय भाषा में 'सुइस' या 'सुसू' कहा जाता है।
➤ उत्तर प्रदेश में गंगा डॉल्फिन की कुल संख्या डॉल्फिन जनगणना 2015 के अनुसार 1263 है।
➤ उत्तर प्रदेश में हाथी तराई एवं शिवालिक के गिरिपदों में पाया जाता है।
➤ प्रोजेक्ट एलीफैंट के तहत उत्तर प्रदेश में तीन।वन प्रभागों, शिवालिक, बिजनौर सामाजिक। वानिका एवं नजीबाबाद वन प्रभाग, जिसमें हाथियों की संख्या अधिक है, चिन्हित किए गए है।
➤ उत्तर प्रदेश विंध्य के जंगलों में चिंकारा पाया जाता है।
➤ उत्तर प्रदेश में प्रथम तेंदुआ जनगणना के अनुसार तेंदुए की कुल संख्या 194 है।
➤ गैंडा उत्तर प्रदेश में तराई क्षेत्र में पाया जाता है।
➤ उत्तर प्रदेश में कुकरैल वन लखनऊ के समीप स्थित है।
➤ कुकरैल वन में 1984-85 से लुप्त प्रजातियों हेतु एक प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया है।
➤ उत्तर प्रदेश के हिमालयी क्षेत्रों के समीप भूरा रीछ तथा कस्तूरी हिरन पाया जाता है।
➤ प्रदेश का सबसे पुराना वन्य वन्यजीव विहार चंद्रप्रभा उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में स्थित है।
➤ उत्तर प्रदेश में एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान दुधवा (टाइगर रिजर्व) है। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित है।
➤ 1977 में इस विहार को राष्ट्रीय पार्क का दर्जा प्रदान किया गया। दुधवा राष्ट्रीय पार्क को वर्ष 1987-88 में बाघ परियोजना में शामिल किया गया। मोहन नदी दुधवा राष्ट्रीय पार्क की उत्तरी सीमा बनाती है जबकि उसकी दक्षिणी सीमा सहेली नदी द्वारा निर्धारित होती है।
➤ उत्तर प्रदेश सरकार 9 जून, 2014 द्वारा पीलीभीत वन्य जीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य का दर्जा प्रदान किया गया है। पीलीभीत बाघ
➤ अभयारण्य उत्तर प्रदेश के पीलीभीत एवं शाहजहांपुर जिले में विस्तृत है।
➤ उत्तर प्रदेश में तीन चिड़िया घर हैं।
1. जायअ वाजिद अली शाह जुलोजिकल गार्डन लखनऊ
2. कानपुर चिड़ियाघर
3. गोरखपुर चिड़ियाघर
➤ उत्तर प्रदेश के प्रमुख चिड़ियाघरों की देखभाल 'केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण' करता है।
➤ वन्य प्राणी सपुरक्षा सप्ताह प्रत्येक वर्ष 1-7 अक्तूबर के दौरान मनाया जाता है।
➤ रेड डाटा बुक का संबंध संकटग्रस्त और उन विलुप्तप्राय जीवों के विवरण से है।
➤ पीफला पार्क एवं वाइडल्स लाइफ बुक में वन्य जीव संरक्षण आंदोलन हेतु अति महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाती हैं।
➤ पटना पक्षी विहार (एटा) को उत्तर प्रदेश सरकार ने अभ्यारण्य घोषित किया है।
➤ उत्तर प्रदेश में स्थापित दो प्राणी उद्यान कानपुर एवं लखनऊ में स्थित है।
➤ प्रदेश में पक्षियों के प्रति आम जनता में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए प्रतिवर्ष दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में बड़ी फेस्टिव का आयोजन किया जाता हैं।
➤ तितली पार्क का निर्माण लखनऊ एवं कानपुर प्राणी उद्यानों में किया जा रहा है क्योंकि
➤ वर्तमान में तितलियों की संख्या कम होती जा रही है। तितलियाँ फूलों के परागण एवं बीजों के अंकपुरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
➤ शहीद असफाक उल्ला खां के नाम पर गोरखपुर में एक प्राणी उद्यान की स्थापना की जा रही मथुरा के वृंदावन में राष्ट्रीय पक्षी मोर के संरक्षण के लिए मयूर संरक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है।
➤ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मगरमच्छ एवं घड़ियालों के लिए घड़ियाल प्रजनन एवं फनर्वास योजना चलाई जा रही है।
➤ उत्तर प्रदेश द्वारा गंगा नदी प्रदूषण निवारण के लिए कछुओं के विस्तार से संबंधित 'कछुआ फनर्वास योजना' का संचालन किया जा रहा है।
➤ उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा में इंग्लैंड के लांगलीट सफारी पार्क (Longleat Safari Park) से अभिप्रेरित होकर बब्बर शेर प्रजनन केंद्र एवं लॉयन सफारी पार्क विकसित किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में वनों के प्रकार
➤ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित वन नीति में राज्य के संपूर्ण क्षेत्रफल के 33.33 प्रतिशत भाग को वनाच्छादित होना आवश्यक माना गया है। वर्तमान में प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के केवल 6.09 प्रतिशत भाग पर वनाच्छादन तथा 3.09 प्रतिशत भाग पर वृच्छादन अर्थातनकुल 9.18 प्रतिशत भाग पर वन एवं वृच्छादन है।
➤ प्रदेश में वनोरोपण कार्य को व्यापक पैमाने पर संचालित किया जा रहा है।
➤ प्रदेश में सामान्य रूप से पाये जाने वाले वन उच्चकटिबन्धीय है, लेकिन कुछ विशिष्ठाताओं के आधार पर इन्हें तीन भागों में विभाजित किया जाता है।
➤ उष्ण कटिबंधीय नम पर्णपाती - नम पर्णपाती वन प्रदेश के 100 से 150 सेमी वर्षा वाले भोंभर एवं तराई क्षेत्रों में पाये जाते हैं। जिसमें झाड़ियों, बांस के झपुरमुट, आरोही पाद्रप, बेंत, साल, बेर, गूलर, फलास, महुआ, सेमल, ढाक, अमला और जामुन के वृक्षों का बाहुल्य होतानहै। इनके अतिरिक्त इमली, सीसम, भूजेनिया आदि वृक्ष भी पाये जाते हैं।
➤ उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन - राज्य के पूर्व, मध्य एवं पश्चिमी मैदानों में शुष्क पर्णपाती वनों का विस्तार मिलता है। यहां के प्रमुख वृक्षों में साल, पलास, अमलतास, बेल,नअंजीर आदि है।
➤ उष्ण कटिबंधीय कंटीली झाड़ियां - राज्य के दक्षिणी भाग में, जहां औसत वार्षिक वर्षा 50 से 75 सेमी होती है। कंटीली झाड़ियों के वन पाए जाते हैं। इन वनों में लेगुमेस, यूफर्बियास, अकेसिया, कंटीले, फलाई, कत्था, कनको, थामन, रेऊनझा, थोर और नीम आदि के वृक्ष पार जाते हैं। इन वृक्षों से राल और गांद प्राप्त होता है। इन वनों के वृक्षों की साधाारण ऊंचाई 5 से 10 मी तक होती है। वृक्षों की जडो लंबी और मोटी होती है तथा उस के तने व पत्तियां गांठवार होते हैं जिससे अंदर की नमी बाहर नहीं निकल पाती है।
उत्तर प्रदेश में वनों का प्रशासनिक विभाजन
राज्य के संपूर्ण वनक्षेत्र को प्रशासनिक दृष्टि से 6 भागों में वर्गीकृत किया गया है, जो निम्न प्रकार हैं-
1. आरक्षित वन - ऐसे वनों में पर्यावरणीय, भूमि संरक्षण तथा वन्य जीव संरक्षण सम्बंधी संवेदनशीलता के कारण संगहण, कटाई तथा पशु पराई क्रियाएं पूर्णतः प्रतिबंधित होती है। ये वन पूर्णतः राज्य नियंत्रण में रहते हैं।
2. संरक्षित वन - संरक्षित वन भी सरकारी नियंत्रण में रखे जाते हैं। आरक्षित वनों की तरह इनमें स्थानीय निवासियों को पशु चराने तथा लकड़ी काटने पर प्रतिबंध नहीं होता।
3. अवर्गीकृत वन - ऐसे बन जिनका अभी वर्गीकरण नहीं किया गया है अवर्गीकृत वन कहलाते हैं। इन वनों में स्थानीय लोगों को लकड़ी काटने तथा पशु चराने की सुविधा रहती है।
4. राजकीय वन - ऐसे वन जो पूर्णरूपेण राजकीय संरक्षण एवं नियंत्रण में रखे जाते हैं राजकीय वन कहलाते हैं।
5. सामुदायिक वन - ऐसे वन जो पूर्णतः स्थानीय निकार्यों, तथा जिला परिषदों, नगर निगमों, नगर पालिकाओं या नगर पंचायत में नियंत्रण में होते हैं, सामुदायिक वन कहलाते है।
6. निजी वन - व्यक्गित अधिकार वाले वनों को निजी वन कहा जाता है। इनका नियंत्रण पूर्ण रूप से निजी व्यक्ति के पास होता है।
वनों से लाभ
➤ वन एक नवीकरणीय संसाधन है। जो पर्यावरण की गुणवत्ता में वृद्धि करता है।
➤ वनों के कारण वायु और जल मृदा अपरदन् तथा बाढ़ से हमारे भूमि की रक्षा होती है। वनों की पतियों के गिरने और सड़ने-गलने से भूमि की उर्वरता में वृद्धि होती है। वायुमण्डल में गैसों के बीच संतुलन तथा जलवायु को सम बनाये रखने में वनों की अम भूमिका है। इनसे प्राकृतिक सौंदर्य में वृद्धि होती है। अधिक वर्षा में भी वनों का विशेष महत्व है। जिन क्षेत्रों में वनाच्छादन अधिक पाया जाता है वहां वर्षा अधिक होती है। वनों में अनेकों जीवन-जंतुओं को संरक्षण मिलता है।
➤ हिमरेखा के पास मिलने वाले भोजपत्र वृक्ष मे प्राकृतिक रूप में कागज प्राप्त होता है।
➤ कत्था खैर वृक्ष में रस से बनाया जाता है। सेमल और गपुरेल वृक्ष की लकड़ियों से माचिस की तीली और डिब्बी का निर्माण किया जाता है।
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